By~ Scholar Planet
Created At: 22 Nov, 2025
आसमान में चमकते तारे हमें जितने सुंदर और शांत दिखते हैं, उनकी यात्रा उतनी ही रोमांचक, शक्तिशाली और वैज्ञानिक रहस्यों से भरी होती है। हर तारे की एक उम्र होती है — उसका जन्म होता है, वह बड़ा होता है, बदलता है और अंत में मर जाता है। आइए आज 600–700 शब्दों में जानते हैं एक तारे की पूरी लाइफ़ स्टोरी, सरल भाषा में।
हर तारे की शुरुआत होती है एक नेबुला (Nebula) से।
नेबुला एक विशाल गैस और धूल का बादल होता है, जिसमें मुख्य रूप से हाइड्रोजन गैस होती है। यह बादल बहुत ठंडा, अंधेरा और फैलाव वाली जगह में मौजूद होता है।
नेबुला में किसी सुपरनोवा के धमाके या गुरुत्वाकर्षण के कारण कंपन पैदा होता है।
इस कंपन से गैस और धूल एक जगह इकट्ठा होने लगती है।
धीरे-धीरे यह हिस्सा सिकुड़कर गरम होता जाता है।
एक समय आता है जब यह चमकने लगता है — इसे प्रोटोस्टार (Protostar) कहा जाता है।
प्रोटोस्टार तारे के “शिशु” जैसा होता है, जो अभी चमकना शुरू कर रहा होता है लेकिन पूरी तरह स्थिर नहीं होता।
जब प्रोटोस्टार इतना गर्म हो जाता है कि उसके अंदर न्यूक्लियर फ्यूज़न (Nuclear Fusion) शुरू हो जाए, तब वह “असली” तारा बन जाता है।
तारे के केंद्र में हाइड्रोजन परमाणु मिलकर हीलियम बनाते हैं।
इस प्रक्रिया में:
बहुत ज्यादा ऊर्जा,
रोशनी,
और गर्मी पैदा होती है।
इसी कारण तारे लाखों–करोड़ों साल चमकते रहते हैं।
इस अवस्था को Main Sequence कहा जाता है, और यह एक तारे का सबसे लंबा और स्थिर जीवन होता है।
हमारा सूर्य भी इसी अवस्था में है और लगभग 10 अरब साल इसी अवस्था में रहेगा।
लगातार हाइड्रोजन जलाते हैं
प्रकाश और गर्मी उत्सर्जित करते हैं
अपनी चमक बनाए रखते हैं
हाइड्रोजन खत्म होने के बाद तारे के केंद्र में ऊर्जा कम होने लगती है। इसलिए तारा फैलने लगता है और बहुत बड़ा हो जाता है।
छोटे तारे → Red Giant
बड़े तारे → Red Supergiant
हमारा सूर्य भी एक दिन Red Giant बन जाएगा और पृथ्वी को भी निगल सकता है।
तारे की मौत दो तरह की हो सकती है — यह उसके आकार पर निर्भर करता है।
सूर्य जैसे छोटे तारे जब अपना ईंधन खत्म कर लेते हैं:
वे अपनी बाहरी परतें खो देते हैं
एक खूबसूरत गैसीय बादल बनता है जिसे Planetary Nebula कहते हैं
बचा हुआ केंद्र छोटा, बेहद गर्म और चमकीला होता है — यही White Dwarf है
समय के साथ यह White Dwarf ठंडा होकर Black Dwarf बन जाता है, जो किसी तरह की रोशनी नहीं देता।
बहुत बड़े तारे (सूर्य से 8–10 गुना बड़े):
अपने जीवन के अंत में एक जबरदस्त धमाका करते हैं जिसे Supernova कहते हैं
यह ब्रह्मांड की सबसे शक्तिशाली घटनाओं में से एक है
Supernova के बाद दो संभावनाएँ हैं:
अगर तारा बहुत अधिक भारी नहीं है तो उसका केंद्र सिकुड़कर न्यूट्रॉन स्टार बन जाता है।
यह इतना घना होता है कि एक चम्मच पदार्थ का वज़न लाखों टन हो सकता है।
अगर तारा बेहद विशाल है, तो वह अपने ही गुरुत्वाकर्षण से ढह जाता है और Black Hole बनता है।
Black Hole इतना शक्तिशाली होता है कि उससे रोशनी भी बाहर नहीं निकल सकती।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि सुपरनोवा में निकली गैसें और धूल फिर से अंतरिक्ष में फैल जाती हैं …
और लाखों साल बाद यही धूल फिर से नए तारे बनाती है।
इस तरह ब्रह्मांड में "तारों का जन्म और मृत्यु" एक चक्र की तरह चलता रहता है।
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